प्रश्न कः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
जसोदा हरि पालने झुलावै । हलरावै, दुलराइ मल्हावे, जोइ सोइ कछु गावै ॥ मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै। तू हैं नहिं बेहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै ॥ कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै। सोवत जानि मौन है कै रहि, करि करि सैन बतावै ॥ इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै । सुख र अमर मुनि दुरलभ, सो नँद-भामिनि पावै ॥
(i) कौन किसको सुलाने का प्रयास कर रहा है?
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने माता यशोदा का कृष्ण के प्रति प्यार को प्रदर्शित किया है। यहाँ पर माता यशोदा कृष्ण को सुलाने का प्रयास कर रही है।
(ii) यशोदा बालक कृष्ण को सुलाने के लिए क्या-क्या यत्न कर रही है?
उत्तर :
यशोदा जी बालक कृष्ण को सुलाने के लिए पलने में झुला रही हैं। कभी प्यार करके पुचकारती हैं और लोरी गाती रहती है।
(iii) कृष्ण को सोता हुआ जानकर यशोदा क्या करती हैं?
उत्तर:
कृष्ण को सोते समझकर यशोदा माता चुप हो जाती हैं और दूसरी गोपियों को भी संकेत करके समझाती हैं कि वे सब भी चुप रहे।
(iv) सूरदास के अनुसार यशोदा कौन-सा सुख पा रही हैं?
उत्तर:
सूरदास जी कहते हैं कि जो सुख देवताओं तथा मुनियों के लिये भी दुर्लभ है, वही श्याम को बालरूप में पाकर लालन पालन तथा प्यार करने का सुख यशोदा प्राप्त कर रही हैं।
प्रश्न खः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
खीजत जात माखन खात। अरुन लोचन, भौंह टेढ़ी, बार-बार जँभात ॥
कबहुँ रुनझुन चलत घुटुरुनि, धूरि धूसर गात। कबहुँ झुक कै अलक खचत, नैन जल भरि जात ॥ कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात । सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात ॥
(i) इस दोहे में सूरदास जी ने क्या वर्णन किया है?
उत्तर:
इस दोहे में सूरदास जी ने श्रीकृष्ण के अनुपम बाल सौन्दर्य का वर्णन किया है।
(ii) बाल कृष्ण कैसे चलते हैं?
उत्तर:
बाल कृष्ण घुटनों के बल चलते हैं। उनके पैरों में घुंघरुओं की आवाज़ आती है।
(iii) बाल कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बाल कृष्ण बहुत सुंदर हैं। उनके नेत्र सुंदर हैं, भौंहें टेढ़ी हैं तथा बार-बार जम्हाई ले रहे हैं। उनका शरीर धूल में सना है।
(iv) बाल कृष्ण कैसी जबान में बोलते हैं?
उत्तर:
बाल कृष्ण तोतली जबान में बोलते हैं।
प्रश्न गः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं । जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं । सुरभी को पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं । पूत नंद बाबा को, तेरौ सुत न कहैहौं । आउ बात सुन मेरी, बलदेवहि न जनैहौं । हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया देहौं । तेरी सौ, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं । सूरदास है कुटिल बराती, गीत सुमंगल गैहौं ॥
(i) उपर्युक्त पद का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त पद महाकवि सूरदास द्वारा रचित है। इस पद में बाल कृष्ण अपनी यशोदा माता से चंद्रमा रूपी खिलौना लेने की हठ कर रहे हैं उसका वर्णन किया गया है।
(ii) अपनी हठ पूरी न होने पर बाल कृष्ण अपनी माता को क्या-क्या कह रहे हैं?
उत्तर:
अपनी हठ पूरी न होने पर बाल कृष्ण अपनी माता को कहते हैं कि जब तक उन्हें चाँद रूपी खिलौना नहीं मिल जाता तब तक वह न तो भोजन ग्रहण करेंगे, न चोटी गुँथवाएगे, न मोतियों की माला पहनेंगे, न उनकी गोद में आएँगे, न ही नंद बाबा और यशोदा माता के बेटे कहलाएँगे।
(iii) यशोदा माता श्रीकृष्ण को मनाने के लिए क्या कहती है?
उत्तरः
यशोदा माता श्रीकृष्ण को मनाने के लिए उनके कान में कहती है, तुम ध्यान से सुनो। कहीं बलराम न सुन ले । तुम तो मेरे चंदा हो और में तुम्हारे लिए सुंदर दुल्हन लाऊँगी।
(IV) मा यशोदा की बात सुनकर श्रीकृष्ण का क्या
प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
माँ यशोदा की बात सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं माता तुझको मेरी तुम मुझे अभी ब्याहने चलो।
जसोदा हरि पालने झुलावै । हलरावै, दुलराइ मल्हावे, जोइ सोइ कछु गावै ॥
मेरे लाल को आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै।
तू काहे नहिं बेगहिं आवै, तोको कान्ह बुलावै
कबहुँ पलक हरि गुदि लेत हैं, कबहुँ
अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन है कै रहि, करि करि मैन बतावै।।
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि,
जसुमति मधुरै गावै । जो सुख 'सूर' अमर मुनि दुरलभ,
सो नंद भामिनी पावै।।
(क) यशोदा बालकृष्ण को सुलाने के लिए क्या क्या करती है?
उत्तर : माँ यशोदा बालकृष्ण को पालने में झुलाकर सुलाने का यत्न कर रही हैं। वे कृष्ण को हिलाती हैं, दुलार करती हैं, पुचकारती हैं और मधुर स्वर में कुछ गा भी रही हैं। यशोदा निद्रा से कहती है कि तुझे कृष्ण बुला रहे हैं, तू जल्दी आकर उसे क्यों नहीं सुलाती?
(ख) बालकृष्ण पालने में झूलते समय क्या-क्या चेष्टाएँ कर रहे हैं ?
उत्तर : पालने में झूलते हुए कृष्ण कभी तो अपनी पलकें बंद कर लेते हैं, पर कभी उनके होंठ पुन: फड़कने लगते हैं।
(ग) सुख 'सूर' अमर मुनि दुरलभ, सो नंद भामिनी पावै' - कवि ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर : सूरदास जी कहते हैं कि जो सुख देवताओं मुनियों के लिए दुर्लभ हैं, वही सुख नंद की पत्नी यशोदा पा रही है अर्थात् भगवान कृष्ण को पालने में सुलाने का सौभाग्य केवल नंद की पत्नी यशोदा को ही प्राप्त है।
(घ) यशोदा द्वारा कृष्ण को पालने में झुलाने का दृश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर : माँ यशोदा बालकृष्ण को पालने में झुलाकर सुलाने का यत्न कर रही है। वे बालकृष्ण को पालने में झुला रही है और मधुर स्वर में कुछ गा भी रही हैं। जैसे ही यशोदा गाना बंद करती हैं, वैसे ही कृष्ण अकुलाने लगते हैं और यशोदा फिर से गाने लगती हैं। सूरदास जी कहते हैं कि कृष्ण को पालने में सुलाने का प्रयत्न करना तथा उनकी चेष्टाओं का अवलोकन करना केवल यशोदा के भाग्य में ही है।
(ग) 'जो सुख 'सूर' अमर मुनि दुरलभ, सो नंद भामिनी पावै' - कवि ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर : सूरदास जी कहते हैं कि जो सुख देवताओं और मुनियों के लिए दुर्लभ है, वही सुख नंद की पत्नी यशोदा पा रही है अर्थात् भगवान कृष्ण को पालने में सुलाने का सौभाग्य केवल नंद की पत्नी यशोदा को ही प्राप्त है।
खीजत जात माखन खात। अरुण लोचन, भौंह टेढ़ी, बार-बार
जम्हात।।
कबहुँ रुनझुन चलत घुटुरन, धूर
धूसर गात।
कबहुँ झुक के अलक खेंचत, नैन
जल भर लात।।
कबहुँ तुतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात ।
'सूर' हरि की निरखि सोभा, निमिख 1
तजत न मात ।।
(क) माखन खाते समय बालकृष्ण की चेष्टाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर : इस पद में सूरदास ने कृष्ण के मक्खन खाने वर्णन किया है। कृष्ण मचलते हुए, चिड़चिड़ाते हुए मक्खन खा रहे हैं।
(ख) बालकृष्ण के सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर : बालकृष्ण अत्यंत सुंदर हैं। उनके नेत्र अत्यंत सुंदर हैं, भौंहें टेढ़ी हैं, वे बार-बार जम्हाई ले रहे हैं। उनका से सना है।
(ग) 'सूर वात्सल्य रस के सम्राट थे'- उपर्युक्त पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर : सूरदास ने वात्सल्य रस का बहुत ही आकर्षक वर्णन किया है। सूरदास ने बालकृष्ण का मचलते हुए और चिड़चिड़ाते हुए मक्खन खाना, नींद आने पर जम्हाई लेना, घुटनों के बल चलते समय पैरों में बँधी पैंजनी के घुघरू की झन-झन आवाज़ करना, कभी तोतली आवाज़ में कुछ बोलना और नंद बाबा को 'तात' कहकर पुकारना आदि का सुंदर वर्णन किया है।
(घ) शब्दार्थ लिखिए
खीजत - झुंझलाना
अरुण लोचन - लाल नेत्र
अलक - निमिख एक बार पलक झपकने में लगने
वाला समय बाल
जम्हात - जम्हाई लेना
तुतरे - तोतले
मैया मेरी, चंद्र खिलौना लैहौं । । धौरी को पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहीँ ।
मोतिन माल न धरिहौं उर पर, झुंगली कंठ न लैहौं । जैहों लोट अबहिं धरनी पर, तेरी गोद न ऐहौं ।
लाल कहौं नंद बाबा को, तेरो सुत न कहौं ।
कान लाय कछु कहत जसोदा,दाउहि नाहिं सुनैहाँ
चंदा हूँ ते अति सुंदर तोहिं, नवल दुलहिया व्यैहौं । ।
तेरी सौं मेरी सुन मैया, अबहीं ब्याहन जैहौं ।
'सूरदास' सब सखा बराती, नूतन मंगल गैहौं ।
(क) बालकृष्ण क्या लेने की ज़िद कर रहे हैं? माँ यशोदा उनकी ज़िद पूरी करने में क्यों असमर्थ है ?
उत्तर : बालकृष्ण अपनी माँ यशोदा से चंद्रमा रूपी खिलौना लेने की ज़िद कर रहे हैं, परंतु माता यशोदा बालकृष्ण का चंद्रमा रूपी खिलौना कहाँ से लाकर दे सकती है। वह खिलौने के रूप में चंद्रमा नहीं लाकर दे सकती
(ख) अपनी ज़िद को पूरी करवाने के लिए बालकृष्ण माँ से क्या-क्या कह रहे हैं ?
उत्तर : बालकृष्ण अपनी माँ यशोदा को अपनी ज़िद पूरी करवाने के लिए तरह-तरह की धमकियाँ देते हैं। वे कहते हैं कि यदि मुझे चंद्र खिलौना नहीं मिला तो मैं गाय का दूध नहीं पिऊँगा, सिर पर बेनी नहीं गयूँगा, मोतियों की माला नहीं पहनूंगा, कंठ पर झंगुलि नहीं धारण करूँगा, अभी धरती पर लेट जाऊँगा, तेरी गोद में नहीं आऊँगा, तेरा पुत्र नहीं कहाऊँगा और नंद बाबा का पुत्र बन जाऊँगा।
(ग) माँ यशोदा ने बालकृष्ण को बहकाने के लिए क्या प्रयास किया ? उस पर बालकृष्ण की क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर : कृष्ण की उपर्युक्त बातें सुनकर यशोदा ने अत्यंत चतुराई से उनके कान में कुछ कहा। वे बोली बलराम को इस बात का पता न चले, मैं चंद्रमा से भी सुंदर दुल्हन के साथ तेरा विवाह करवाऊँगी। यशोदा की बात सुनकर कृष्ण चंद्रमा रूपी खिलौने की जिद भूल गए और बोले-मैं अभी विवाह करवाने जाऊँगा ।
(घ) सूरदास के बाल-व -वर्णन की विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर : सूरदास ने श्रीकृष्ण की बाल-सुलभ चेष्टाओं एवं विविध क्रीड़ाओं के अत्यंत स्वाभाविक और मनोमुग्धकारी चित्र अंकित किए हैं, जिनमें कहीं कृष्ण घुटनों के बल आँगन में चल रहे हैं, कहीं मुख पर दधि लेकर दौड़ रहे हैं, कहीं हँसते हुए किलकारी मारते हैं। बालक कृष्ण मक्खन खाते हुए तथा धूल में घुटनों के बल चलते हुए बहुत सुंदर दिखाई देते हैं। सूरदास कृष्ण की बाल लीलाओं की जैसी मनोहर झांकी प्रस्तुत की है, वैसी झांकी विश्व-साहित्य की किसी भी भाषा में मिलनी संभव नहीं है।
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